Gunjan Kamal

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यादों के झरोखे से " क्या फायदा हुआ ? "

  " इच्छा की मम्मी तो ज्यादा पढ़ी - लिखी भी नहीं थी लेकिन आज वह कमा रही है तुम तो उससे अधिक पढ़ी हो लेकिन तुम्हारी तो आज तक नौकरी नहीं लगी क्या फायदा हुआ इतना पढ़ने - लिखने का ???


दोस्तों ! यह एक ऐसा सवाल है जिसे आजकल एक होम मेकर ( गृहिणी ) को सुनना पड़‌ रहा है और इसके जवाब उस होम मेकर ( गृहिणी ) को  पता तो होता है लेकिन वह अपनी बेबसी , अपनी किस्मत पर सिर्फ हॅंसकर रह जाती है । यादों के झरोखे में कैद ऐसी ही एक  याद लेकर आप सबके समक्ष फिर से उपस्थित हुई हूॅं और उम्मीद करती हूॅं कि आप सब लोग इससे दिल से जुड़ेंगे। 


दोस्तों! एक होम मेकर ( गृहिणी ) जो खुद की खुशी से पहले अपने पति, बच्चों और परिवार की खुशी देखती है । वह सबके खान - पान , दवाईयों , घर के सामान और बर्तनों तक की देखभाल करती है । वह अपने घर में एक पत्नी , एक बहू , एक भाभी और एक माॅं होती है जो अपने हर दायित्व को बखूबी निभाना जानती है और उसे पूरा भी करती हैं लेकिन वह पैसे कमा कर नहीं लाती है इसके लिए उसे इस तरह की बातें कभी उसके सामने  तो कभी उसे सुनाकर कही जाती हैं और गृहणियों को यह सुनना पड़ता है क्योंकि वह जानतीं हैं कि वह जो अपने परिवारजनों को दें रही हैं उनकी नजर में वह कुछ नहीं है और जो उन्हें चाहिए वह उन्हें  चाहकर भी दें नहीं सकती ।

" घर    के    प्रत्येक    सदस्य    से    पहले     जगना ।
सुबह    जगते     ही    किचन    का    रुख    करना ।
  सबसे  पहले  सबके  लिए सुबह  की  चाय   बनाना ।
  सबको    कमरे  में   जाकर    बेड     टी      पहुॅंचाना ।
  सबके    लिए    सुबह    का   नाश्ता   तैयार  करना ।
  बच्चों   को    स्कूल    के     लिए    तैयार      करना ।
  पति    के      लिए      प्यार      से     लंच    बनाना ।
  पति  के    ऑफिस    जाने      में     मदद     करना ।
  सास - ससुर  को  उनके हिसाब  से  नाश्ता  कराना ।
किचन से लेकर घर के हर कमरें  की  सफाई  करना ।
तब जाकर अपने  लिए  थोड़ा  सा  समय निकालना ।
उसमें        भी       नहाने        के        साथ - साथ 
  बच्चों    और      पतिदेव      के     कपड़े      धोना ।
दोपहर       का       खाना         तैयार         करना ।
बच्चों के  स्कूल से  आने    पर   उनको    खिलाना ।
दोपहर का खाना घर  के हर  सदस्य   को   खिलाना ।
जल्दी - जल्दी खुद खाना और थोड़ा  आराम  करना । दोपहर और शाम के बीच  में बच्चों को पढ़ने के लिए बिठाना     और    खुद     भी    बैठकर       पढ़ाना ।
शाम  होते  ही शाम  का  नाश्ता और  चाय  बनाना ।
जो जहाॅं पर हो वहाॅं तक नाश्ता और चाय पहुॅंचाना ।
बड़े यदि कहें तो  उनके साथ  बैठकर  चाय  पीना ।
बड़े यदि  ऐसा  ना  चाहें   तो  अकेले ही  किचन  में
या   अपने    कमरे    में    जाकर    चाय    पीना ।
अंधेरा होते ही बच्चों को  पढ़ने  के  लिए  बैठाना ।
बच्चों          का             होमवर्क           कराना ।
रात का खाना तैयार  करना और  सबको खिलाना ।
तब        जाकर        खुद         खाना       खाना ।
किचन  की  सफाई  करके बेडरूम  में सोने आना ।
बेडरूम   में   भी  आकर  अपना  फर्ज   निभाना ।।


इतना सब रोज करने के बाद भी यदि  घर में मेहमान आ जाएं तो उनकी खातिरदारी भी इस तरह  करना कि जिनके भी रिश्तेदार हैं वह खुश हों जाएं और बाद में यह नहीं सुनना पड़े कि मेरे रिश्तेदार की इसने तो अच्छे से खातिरदारी तक नहीं की ।


दोस्तों! मैं यह नहीं कहती कि जो जाॅब करती हैं वह खुश हैं । मेरा यह मानना है कि उनको तो दोहरी भूमिका निभानी पड़ती है । जो जहाॅं है उन्हें किसी ना किसी समस्या का सामना करना ही पड़ता हैं । मैं तो बस इतना कहना चाहती हूॅं कि जाॅब करने वाली  मेरी दीदियों और  भाभियों को यह तो नहीं सुनना पड़ता है कि इतना पढने  -लिखने का क्या फायदा हुआ ?? मैंने जो अपने घर में सुना और देखा है उसी को आप सबके समक्ष लेकर आई हूॅं। मैंने आजतक जाॅब करने वाली लड़कियों और महिलाओं के बारे में अच्छा ही सुना है । घर का हर सदस्य उनकी तारीफ करता है और कहता है कि दिन भर काम करके  यह थक गई होगी लेकिन गृहणियों के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल  बहुत कम ही घरों में किया जाता है या सुनने को मिलता हैं ।


दोस्तों ! आप सब स्वयं सोचकर बताएं  कि एक लड़की को , एक औरत को  जाॅब करके पैसे कमाने के लिए ही सिर्फ पढ़ना चाहिए ? यदि उन्हें पढ़ने के बाद भी जाॅब नहीं मिलती है तो क्या उनका कोई अस्तित्व ही नहीं होता है ?? क्या घर के सदस्य इसी तरह उसे समय - समय पर तानें के रूप में यह कहते रहेंगे कि इतना पढ़ने - लिखने का क्या फायदा हुआ ??😔😔😔 यह शब्द सुनकर  गृहिणियों  के मन में कितनी पीड़ा होती है उसे  गृहिणियों के साथ - साथ आप सब भी समझने का प्रयास तो कर ही सकते है ना क्योंकि आप सभी के घरों में  कम से कम एक गृहिणी तो होगी ही और आप सब ये भी जानते हो कि एक गृहिणी इतना सब सुनकर भी जब अगले दिन सुबह उठेंगी तो  वह सबकुछ भूलकर वही घर के काम , वही दिनचर्या में आपको लगी मिलेगी ।


दोस्तों! अपने मन में उभरी हुई  बातें और  भावनाएं जो अब यादों के झरोखे में महफूज रखें हुए हैं  उन में से और भी यादों को किसी और दिन आप सबके साथ साझा करूॅंगी और इसी वादें के साथ अपनी लेखनी को विराम भी देती हूॅं तब के लिए इतना अवश्य कहूंगी 👇

🙏🏻🙏🏻🙏🏻आप सब अपना ख्याल रखें खुश रहें और सबसे महत्वपूर्ण बात हमेशा हॅंसते-मुस्कुराते रहें 🙏🏻🙏🏻🙏🏻


                                                    धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻

   " गुॅंजन कमल " 💗💞💓

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4 Comments

Rajeev kumar jha

07-Jan-2023 07:38 PM

बहुत खूब

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Varsha_Upadhyay

16-Dec-2022 06:57 PM

शानदार

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Mahendra Bhatt

16-Dec-2022 05:37 PM

शानदार

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